ओजस्वी मन प्रयागराज:-
तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी संगम की पावन धरा पर राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक-संरक्षक एवं नि.राज्यमंत्री पं. सुनील भराला के निर्देशन एवं संयोजन में मध्यप्रदेश के जनापाव में भगवान परशुराम जी की जन्मस्थली को लेकर "परिचर्चा एवं प्रबुद्ध सम्मेलन" कार्यक्रम का आयोजन हुआ।कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री 1008 जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने की और मुख्य अतिथि प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं एमएलसी डॉ. दिनेश शर्मा रहे।
राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा आयोजित परिचर्चा एवं प्रबुद्ध सम्मेलन में सैकड़ो की संख्या में साधु-संत,विद्वतजनों एवं ब्रह्म समाज के प्रतिष्ठित गणमान्यों की उपस्थिति रही।कार्यक्रम के प्रारंभ में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी,मुख्य अतिथि पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा जी , राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक-संरक्षक पं.सुनील भराला जी एवं पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.राजाराम यादव जी ने संयुक्त रूप से साधु-संतों को माल्यार्पण , भोजन उपरांत वस्त्र एवं दक्षिणा आदि देकर उनका यथोचित सत्कार किया और आशीर्वाद प्राप्त किया।इस दौरान श्रमिक परिवारों को भी वस्त्र आदि यथोचित दान देकर उनका सम्मान किया गया।कार्यक्रम में पहुंचने पर पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा का पूरे जोश एवं उत्साह से स्वागत एवं अभिनंदन किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि मुझे खुशी है कि आज प्रदेश की बागडोर एक संत के हाथ मे है।उन्होनें कहा कि मैं मंच से उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दूंगा कि माघ मेले में इतनी सुंदर व्यवस्था प्रदेश सरकार ने की है।परशुराम जन्मभूमि पर बोलते हुए डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि भगवान परशुराम जी का जन्म कहाँ हुआ,इस बात को लेकर विद्वानों में मतभेद हो सकते हैं किंतु परशुराम जी की विद्वत्ता, उनकी सारगर्भिता और आतताइयों के लिये उनका प्रतिकार आज पूरे विश्व के लिये प्रेरणा है।डॉ. शर्मा बोले कि भगवान परशुराम जी के भगवान बनने के पीछे उनकी कठोर साधना एवं तपस्या रूपी लम्बी यात्रा है।उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम का विरोध किसी जाति विशेष से नही था बल्कि उन्होंने तो अत्याचार की मानसिकता एवं आतताइयों का अंत करने के लिये शस्त्र उठाये।डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि श्रीरामचरितमानस की ही भांति श्रीपरशुरामजी के चरित का वर्णन किसी ग्रंथ के माध्यम से होना चाहिए , जिससे उनके विषय मे फैली भ्रांतियां दूर हो सके।उन्होंने कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी की सरकार ने भगवान परशुराम कुंड के उद्धार के लिये कदम बढ़ाये है।उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में स्थित परशुराम कुंड के उद्धार के लिये पांच सौ करोड़ रुपये मोदी सरकार ने दिये हैं।देशभर में 56 स्थानों को भगवान श्री परशुराम जी की तीर्थस्थली बनाने की दिशा में मोदी सरकार कार्य कर रही हैं।वहीं जनवरी 2024 तक अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण हो जायेगा।भव्य एवं विशाल काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की स्थापना तथा उज्जैन में भव्य एवं विशाल कॉरिडोर की स्थापना मोदी सरकार के ऐसे कार्य हैं जो भारत के पुनः वैभवशाली होने की गाथा पूरे विश्व के समक्ष रख रहे हैं।भारतीय संत समाज की गौरवशाली परंपराओं का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि " जहां संत हैं, वहां बसन्त है।और जहां बसंत है वहाँ सब कठिनाइयों का अंत है।"डॉ. दिनेश शर्मा बोले कि माघ मेले में आकर संतो के दर्शन ईश्वर प्राप्ति के समान हैं।पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद ने एक सामाजिक संगठन के रूप में भारतवर्ष में नया कीर्तिमान स्थापित किया है।जिसने भगवान श्री परशुराम जी के अनसुलझे सवाल एवं भगवान श्री परशुराम जी को लेकर तमाम प्रकार की भ्रांतियां एवं भ्रामक प्रचार पर पूर्ण विराम लगाने का कार्य राष्ट्रीय परशुराम परिषद ने किया है।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पं. सुनील भराला ने कहा कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद की राष्ट्रीय शोध पीठ के अध्यक्ष जेवी कृष्णन जी, परिषद के संयोजक प्रोफेसर डॉ. वेदवत्त तिवारी जी के द्वारा काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. कामेश्वर उपाध्याय जी की अध्यक्षता में काशी विश्वनाथ उद्घोष के अंतर्गत हजारों साल बाद भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली को लेकर राष्ट्रीय परशुराम परिषद के शोध के उपरांत निर्णय हुआ कि मध्यप्रदेश का जनापाव भगवान परशुराम जी की जन्मभूमि है।वहीं अपने आशीर्वचन में श्री 1008 पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि मध्यप्रदेश के जनापाव स्थित भगवान श्री परशुराम जी की जन्मभूमि देश का बड़ा आध्यात्मिक केंद्र बनेगी।कार्यक्रम को विशेष रूप से पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजाराम यादव जी ने भी संबोधित किया।कार्यक्रम का संचालन संदीप मिश्रा और डीवी शुक्ला ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्रीमद जगतगुरु रामानुजाचार्य , श्री स्वामी अयोध्याचार्य जी महाराज,
श्री संजय मिश्रा, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय परशुराम परिषद ,
पंडित महानंद वाजपई, प्रदेश महामंत्री राष्ट्रीय परशुराम परिषद ,श्री कमलाकर द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री राष्ट्रीय परशुराम परिषद,श्री के. के. त्रिवेदी, प्रदेश उपाध्यक्ष राष्ट्रीय परशुराम परिषद ,साध्वी राधा सरस्वती जी महाराज महामंडलेश्वर,संतधार चंद्रभूषण जी ,
श्री त्रिलोकी नाथ मिश्रा, प्रदेश मंत्री राष्ट्रीय परशुराम परिषद ,
श्री राजेश शर्मा, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश परशुराम स्वाभिमान सेना ,
श्री देवेंद्र शर्मा, जिला अध्यक्ष मथुरा राष्ट्रीय परशुराम परिषद ,
वृंदावन से आए बंसी बाबा योगेश शर्मा ,मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश संगठन मंत्री एवं ओजस्वी मन पत्रिका के संपादक पं. दीपक कृष्णात्रेय आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।आयोजनकर्ता में राजपुरोहित आचार्य मधुर जी राष्ट्रीय सह-सयोंजक (धर्म प्रकोष्ठ) राष्ट्रीय परशुराम परिषद, श्री संजय मिश्रा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय परशुराम परिषद, श्री राजेश शर्मा जी अध्यक्ष उत्तर प्रदेश परशुराम स्वाभिमान सेना, श्री शिरीष रंजन त्रिपाठी जिला अध्यक्ष काशी राष्ट्रीय परशुराम परिषद आदि मुख्य रूप से रहे।